विषय -- हास्य लधुकथा
चीकू की शेरवानी
चीकू चूहा बहुत खुश था उसकी शादी के कुछ ही दिन शेष रह गए थे, माँ ने चीकू से कहा, "बेटा शादी के लिए जो समान चाहिए वो सब एकबार देख ले , जो रह गया है वो आज जा कर ले आते हैं।"
चीकू बोला, "ठीक है माँ मैं अपना सामान देख लेता हूँ !"
चीकू अपने कमरे में गया सब चीज देख रहा था पर उसे अपनी शेरवानी कही नही मिली , सब जगह देख डाली पर हो तब मिले न। चीकू दौड़ा दौड़ा माँ के पास गया, " माँ माँ, मेरी शेरवानी नही मिल रही है कहाँ रख दी है तुमने?"
"मैं ने तो लाकर तुझे ही तो दी थी रखने के लिए तूने ही रखी होगी कहीं", चीकू की मम्मी ने कहा। चीकू अब और परेशान हो गया पूरा घर छान मारा पर शेरवानी कही नही मिली चीकू का मुँह अब देखने के लायक था !
चीकू ने अपने कमरे का सारा सामान इधर से उधर फेक दिया पर वह नही मिली। उसके पापा भी कमरे में आ गए। कमरे को बिखरा को देख बोले, "ये क्या हाल बना रखा है पूरा कमरा उथल पुथल कर रखा है तुमने।"
चीकू रुआंसा हो कर बोला, "पापा वो मेरी शेरवानी नही मिल रही है?"
"अबे तो शेरवानी ही तो है इसमे रोने की क्या बात है? शादी होने वाली है तेरी और अभी भी बच्चों की तरह रो रहा है, कल को बीवी के सामने भी रोयेगा तो वो क्या बोलेगी।"
पापा रो कहाँ रहा हूँ? चीकू खिसिआया।
"बेटा इस को रोना ही कहते हैं ! ये कब से हँसना होने लग गया" पापा ने कुछ मजाकिया अंदाज में कहा।
"क्या पापा आप मेरा मजाक बना रहे है एक तो मैं परेशान हूँ मेरी मदद करने की बजाए आप?"
माँ देखो न पापा को, मुझ पर हँस रहे है! - चीकू ने अपनी मां से शिकायत की।
"आप क्यों उसे परेशान कर रहे हैं मेरे लाल को, देखो कितना कमजोर लग रहा है, मुझे उसके माथे पर जरा सी भी शिकन बर्दाश्त नही होती",
तुम्हारा लाल पीला तो खा खा कर इतना मोटा हो गया है ये तुमको कमजोर नज़र आ रहा है ,
"देखो जी मेरे लाल को आप यूँ न नज़र लगाया करे" कहते हुए चीकू का सर अपने कंधे पर रख लिया और प्यार से हाथ फेरने लगी !
हा हा हा नज़र और मेरी इतनी बुरी दिन आ गए हैं मेरे क्या जो इसे नज़र लगाने बैठूंगा!
माँ क्या है अब आप दोनों लड़ने न बैठो मेरी शेरवानी ढूढो - चीकू दोनो के बीच मे पड़ा।
पापा गाना गाने लगते हैं ढूंढो रे ढूंढो मोटे की शेरवानी ,
ओ शेरवानी तू छुपी है कहाँ, मैं ढूंढता हूँ यहाँ
दिल मेरा रो रहा हो के तुझसे जुदा ,
ओ शेरवानी तू छुपी है कहां, मैं ढूंढता हूँ यहाँ
दिल मेरा रो रहा हो के तुझसे जुदा ,
माँ देखो न पापा फिर से ,चीकू ने कहा तो माँ ने पापा को आँखे दिखाई और पापा ने झट से मुँह पर अपनी उंगली रख ली।
तभी दरवाजे पर दस्तक हुई, "अब कौन आ गया दरवाजे पर, सुनते हो जी" ,
"ना हम तो बहरे है"
" अरे ! आप देख कर आओ कौन आया है"
" जी मालकिन अभी जाता हूँ और कोई हुकुम"
माँ ने फिर आँखे दिखाई "अब तो सुधार जाओ ससुर बनने वाले हो",
"हम नही सुधरेंगे , थोड़ा और बिगड़ेंगे"
गुनगुनाते हुए नीचे चले गए पापा ने माँ को आवाज़ लगाई, "ओ चीकू की अम्मा देखो अपने लाल पीले की करतूत।"
माँ ये सुनते ही जल्दी से नीचे आ गयी बोली, "आप तो बस उसके पीछे ही पड़े रहते हो!"
माँ ने देखा सामने दर्जी चाचा खड़े थे , "नमस्ते चाचा जी।"
उन्होंने माँ से कहा, " ये चीकू की शेरवानी है मुझे ठीक करने को दे कर आया था। मैंने ये ढीली कर दी है। उससे बोलो एक बार पहन कर देख ले ठीक है या और ढीली करनी है। दो दिन से उसका दुकान पर इंतज़ार कर रहा हूँ आया ही नही तो मै ही आ गया देने !"
"हे भगवान किस लड़के का क्या होगा, ये तो अभी से इतना भुलक्कड़ है मुझे भी नही बताया शेरवानी टाइट है और ढीली करने के लिए चाचा को दे कर आया हूँ मै तो पहले से ही कह रहा हूँ इस मोटे का शरीर ही नही अक्ल भी मोटी हो गयी है। भूल जाता है कल को अपनी बीवी को ही पूछ लेगा तुम कौन हो और मेरे कमरे में क्या कर रही हो?"
"पापा अब इतना भी भुलक्कड़ नही हूँ जो उसे भी भूल जाऊँ", चीकू चिढ़ा। दोनो की नोकझोंक देख दर्जी चला गया।
"अच्छा तो हमे भूल जाएगा" वे फिर हँसने लग गए ,
चीकू बिचारे अब अपना से मुँह ले कर रहे गया ,,,,, और चीकू की शेरवानी की तलाश आखिर कार पूरी हुई।
समाप्त।
Punam verma
28-Mar-2022 03:53 PM
बहुत बढ़िया 👌
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Sachin dev
27-Mar-2022 07:21 PM
बहुत ही बेहतरीन
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Gunjan Kamal
27-Mar-2022 05:30 PM
बहुत खूब
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